आलिया भट्ट का उनका तीसरा लुक, एक चमकदार पीले रंग का गुच्ची को-ऑर्ड सेट, विंटेज हॉलीवुड ग्लैमर की याद दिलाता है

2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में आलिया भट्ट ने अपने फैशन से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनका तीसरा लुक, एक चमकदार पीले रंग का गुच्ची को-ऑर्ड सेट, विंटेज हॉलीवुड ग्लैमर की याद दिलाता है।


पीले रंग में आलिया का विंटेज अवतार

आलिया ने गुच्ची के इस को-ऑर्ड सेट में एक क्रॉप्ड बस्टियर टॉप, पेंसिल स्कर्ट और टेलर्ड जैकेट पहनी थी। उन्होंने इसे ब्लैक कैट-आई सनग्लासेस, मिलती-जुलती स्कार्फ और एक छोटा स्लिंग बैग के साथ स्टाइल किया, जिससे उनका लुक पुराने हॉलीवुड की याद दिलाता है।


ग्लोबल फैशन आइकन के रूप में आलिया

गुच्ची की ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर के रूप में, आलिया ने इस ब्रांड के साथ कई इंटरनेशनल इवेंट्स में भाग लिया है, जैसे कि मिलान फैशन वीक 2023 और गुच्ची क्रूज़ शो 2025। उनकी फैशन चॉइसेस ने उन्हें एक ग्लोबल फैशन आइकन के रूप में स्थापित किया है।


सोशल मीडिया पर आलिया का जलवा

आलिया के इस लुक ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरीं। फैंस और फैशन क्रिटिक्स ने उनके इस विंटेज लुक की सराहना की और उन्हें “रानी” कहकर संबोधित किया।


 फैशन और सिनेमा का संगम

आलिया भट्ट का यह लुक न केवल फैशन की दुनिया में उनकी पहचान को और मजबूत करता है, बल्कि भारतीय सिनेमा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण क्षण भी साबित होता है।


आलिया भट्ट का कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में विंटेज लुक सिर्फ एक खूबसूरत रेड कार्पेट मूमेंट नहीं था — यह फैशन और सिनेमा के बीच उस सेतु का प्रतीक था, जो भारत की सांस्कृतिक गहराई को इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म तक ले जाता है। यह लुक एक ऐसी कहानी कहता है जिसमें ग्लैमर, इतिहास, परंपरा और आधुनिकता, सभी एक साथ सांस लेते हैं।


सिनेमाई पहचान और फैशन का मेल

आलिया भट्ट, जिन्हें अब तक हमने सिल्वर स्क्रीन पर शानदार परफॉर्मेंस देते देखा है, अब फैशन के मंच पर भी उतनी ही नजाकत और आत्मविश्वास के साथ नज़र आ रही हैं। उनका यह लुक यह बताता है कि वे अब सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं रहीं, बल्कि वह एक संपूर्ण ब्रांड बन चुकी हैं — एक ऐसी पहचान जो भारतीय सिनेमा की रचनात्मकता को फैशन की भाषा में अनुवाद करना जानती है।

उनका यह रेड कार्पेट अवतार एक परफेक्ट उदाहरण था कि कैसे कोई एक्ट्रेस अपने काम से बाहर निकलकर एक सांस्कृतिक प्रतिनिधि बन सकती है। यह लुक भारतीय रंगों, डिज़ाइन एस्थेटिक और ग्लोबल ट्रेंड्स का बेहतरीन फ्यूजन था।


विंटेज फैशन: केवल पुराना नहीं, बल्कि शाश्वत

आलिया का यह विंटेज इंस्पायर्ड को-ऑर्ड सेट, जो 60s और 70s के फैशन से प्रेरित था, केवल एक ट्रेंड को दोहराने का प्रयास नहीं था। यह एक फैशन स्टेटमेंट था, जिसमें नॉस्टैल्जिया के साथ आत्म-विश्वास की झलक थी।

विंटेज कैट-आई सनग्लासेस, रेट्रो स्कार्फ और मिनी बैग जैसे एक्सेसरीज़ ने इस पूरे लुक को एक नया आयाम दिया। उन्होंने पुराने दौर की सादगी को आज के ग्लोबल स्टाइल के साथ इस तरह मिक्स किया कि वह इंटरनेशनल फैशन वीक की याद दिला गया — लेकिन भारतीय आत्मा के साथ।


ग्लोबल अपील और कल्चरल रूट्स की परस्परता

फैशन तभी गहराई पाता है जब उसमें रूट्स और रीजन दोनों शामिल हों। आलिया का यह लुक इस बात की मिसाल है कि कैसे कोई भारतीय सेलेब्रिटी अपनी संस्कृति की बारीकियों को वेस्टर्न फैशन में समाहित कर सकती है, और वो भी बिना किसी कल्चरल कंप्लीकेशन के।

उनका यह लुक केवल सुंदर नहीं था, वह एक विचारधारा को प्रस्तुत करता था — कि भारत अब सिर्फ एक दर्शक नहीं, बल्कि ग्लोबल फैशन नैरेटिव का भागीदार है।


प्रेरणा बनती एक स्टार

आलिया भट्ट की इस उपस्थिति ने यह भी सिद्ध कर दिया कि अब भारतीय सेलेब्रिटी सिर्फ बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस तक सीमित नहीं हैं। वे अब युवा पीढ़ी के लिए ट्रेंडसेटर, आइकन और रोल मॉडल हैं। फैशन से लेकर माइंडसेट तक — आलिया जैसी शख्सियतें आज की दुनिया को यह सिखा रही हैं कि आत्म-अभिव्यक्ति सिर्फ शब्दों या अभिनय में नहीं, बल्कि स्टाइल में भी होती है।

उनका यह फैशन लुक उन सभी युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है जो ग्लोबल होना चाहती हैं, लेकिन अपनी जड़ों से कटना नहीं चाहतीं।


फैशन के जरिए भारत की आवाज़

हर साल कान्स फिल्म फेस्टिवल सिर्फ फिल्मों का नहीं, बल्कि ग्लोबल कल्चर का संगम बन जाता है। इस मंच पर आलिया जैसी भारतीय हस्ती का विंटेज ग्लैमर एक तरह से यह दर्शाता है कि भारत की कला, स्टाइल और विज़न अब विश्व की मुख्यधारा का हिस्सा बन चुके हैं।

यह लुक न सिर्फ एक आउटफिट था, बल्कि एक बयान था — “भारत जानता है कि ग्लोबल कैसे दिखना है, लेकिन अपनी पहचान के साथ।”


निष्कर्ष

एक लुक, एक संदेश, एक दिशा

आलिया भट्ट का यह विंटेज लुक केवल एक रेड कार्पेट मोमेंट नहीं था, बल्कि यह एक विचार था — कि कैसे एक कलाकार फैशन के माध्यम से अपनी संस्कृति, अपने सिनेमा और अपने देश की पहचान को दुनिया के सामने रख सकता है।

यह फैशन का वह अद्भुत क्षण था जहाँ ग्लैमर केवल शो नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संवाद बन गया।